भारत और ईरान को अफगानिस्तान में शांति के लिए शामिल करना चाहता है रूस |
भारत और ईरान को अफगानिस्तान में शांति के लिए शामिल करना चाहता है रूस
अफगानिस्तान की स्थिति को देखते हुए महत्वपूर्ण बैठक के बाद विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव नेमीडिया से कहा, जिसके अंदर रूस, पाकिस्तान, चीन और अमेरिका ने भाग लिया है। की रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के फैसलों के बुनियाद पर राजनैतिक समझौते का समर्थन अफगानिस्तान में करता है।
रूस का कहना है की अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ प्रभावशाली भूमिका निभा सकता है। भारत और ईरान को शामिल करने में रूचि रखता है ताकि वह युद्धग्रस्त देश में शांति ला सके।
अफगानिस्तान में स्थिरता और शांति सुनिश्चित करने के लिए एक प्रमुख दाँवधारी भारत को 11 अगस्त को क़तर में दिशा निर्देश विस्तारित में ट्रोइका बैठक में सम्मिलित नहीं किया गया था। उस प्रारूप के अंतर्गत बातचीत पहले 18 मार्च और 30 अप्रैल को हुई थी।
अमेरिका, पाकिस्तान, चीन और रूस ने अफगानिस्तान की स्थिति को देखते हुए एक बहुत ही महत्वपूर्ण बैठक के बाद भाग लिया। विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का मीडिया के सामने कहना है की रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के फैसलों के बुनियाद पर अफगानिस्तान में एक राजनैतिक समझौते का समर्थन करता है।
लेकिन अफ़सोस की बात तो ये है की तालिबान अपने बल का प्रयोग करके देश की स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रहा है। तालिबान का कहना है की रूस देश में हर राजनैतिक, जातीय और इकबालीया ताकतों की साझेदारी के साथ किये जा रहे है। और अफगानिस्तान सुलह का समर्थन करता है।
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आपको एक बात बता दे की तालिबान के हमले अफगानिस्तान में बढ़ने के साथ ही रूस ने हिंसा को बंद करने के लिए और अफगानिस्तान की शांति को कायम रखने के लिए हर प्रकार के डालो तक पहुंचने के प्रयास और भी तेज कर दिए है।
ताशकंद में रूस के विदेशी मंत्री सर्गेई लावरोव ने बोला था की उनका देश हिंदुस्तान और बाकि सभी देशो के साथ काम करना हमेशा जारी रखेगा, जो स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं अफगानिस्तान। और फिर इन विवेचना के बाद, अटकले थी की आगामी ‘ट्रोइका बैठक’ में भारत को उपस्थित किया जा सकता है।
इन टिप्पणियों के बाद, ऐसी अटकलें थीं कि भारत को आगामी ‘ट्रोइका बैठक’ में शामिल किया जा सकता है।